बाबा भोलेनाथ की आराधना का प्रिय माह सावन का आगमन 22 जुलाई को पहली सोमवारी के साथ आरंभ हो गया है। दुर्लभ संयोग में आरंभ हुआ सावन इस बार 29 दिन का है। सावन में जलाभिषेक करते हुए महादेव की आराधना की जाती है। साथ ही श्रद्धालु रुद्राभिषेक भी करते हैं। सावन का हर दिन रुद्राभिषेक के लिए खास माना गया है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सावन में हर दिन रुद्राभिषेक का अपना महत्व है, लेकिन अब 10 दिन रुद्राभिषेक का विशेष मुहूर्त है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस वर्ष श्रावण मास का 5 दिन बीत चुका है। अब 24 दिन शेष रह गए हैं। इसमें कृष्ण पक्ष में 4 दिन और शुक्ल पक्ष में 6 दिन रुद्राभिषेक के लिए बहुत ही खास है। संबंधित तिथियों पर रुद्राभिषेक करने से महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होगी। सावन में सोमवारी का विशेष महत्व है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार 22 जुलाई को पहली सोमवारी पर प्रीति योग, आयुष्मान योग व सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बना था। 29 जुलाई को दूसरी सोमवारी पर वृद्धि योग का संयोग रहेगा जो सुयोग माना गया है। 5 अगस्त को तीसरी सोमवारी के दिन जय योग रहेगा। 12 अगस्त को चौथे सोमवारी के दिन एंद्र योग का संयोग बन रहा है। 19 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन अंतिम सोमवारी पर सौभाग्य योग व सर्वार्थ सिद्धि का योग रहेगा। इस तरह सावन की समाप्ति पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बहुत अच्छा है। ऐसे में शिव मंदिरों में सोमवारी को विशेष अनुष्ठानों का दौर चल रहा है।
इन तिथियों में रुद्राभिषेक महत्वपूर्ण
तिथि पंचांग तिथि
28 जुलाई अष्टमी
31 जुलाई एकादशी
1 अगस्त द्वादशी
4 अगस्त अमावस्या
6 अगस्त द्वितीया
9 अगस्त पंचमी
13 अगस्त नवमी
16 अगस्त एकादशी
17 अगस्त त्रयोदशी
हर दिन मंदिरों में हो रहे धार्मिक अनुष्ठान
सावन मास में सोमवार ही बल्कि हर दिन को शुभ माना गया है। सावन मास में भगवान भोले नाथ की पूजा अर्चना की जाती है। हर दिन शिवालयों में रूद्राभिषेक, जाप, अनुष्ठान किए जा रहे हैं। मंदिरों में सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ जुट रही है। सुबह पूजा अराधना व संध्या भजन कीर्तन से अंंचल शिवमय हो गया है। कांवरियों का दल शिव के धाम पहुंच रहा है। बड़ी संख्या में जिले के शिव भक्त बाबा बैजनाथ धाम के लिए भी रवाना हुए हैं। साथ ही श्रद्धालुओं के बाबाधाम जाने का सिलसिला लगातार बना हुआ है। इसके अलावा स्थानीय शिवधाम कनकेश्वर कनकी, पाली शिव मंदिर, नरसिंह गंगा चैतमा, शंकर खोला कोरकोमा, शंकरगढ़ छुरी आदि स्थानों में कांवरियों का दल रविवार रात से ही जल चढ़ाने निकल पड़ता है।