Sarcoidosis: खूबसूरती के चक्कर में जान का खतरा! Eyebrow का ट्रीटमेंट बना सकता है फेफड़ों का दुश्मन 👇

माइक्रोब्लेडिंग करवाने के बाद दो महिलाओं को जानलेवा फेफड़ों की बीमारी से जूझना पड़ा. यह बीमारी सिस्टमिक सारकॉइडोसिस है, जो एक ऑटोइम्यून बीमारी है और इससे फेफड़ों में गांठ बन सकती हैं.

माइक्रोब्लेडिंग के बाद होने वाली सार्वजनिक प्रतिक्रिया का नियंत्रण करने के लिए विशेषज्ञों के साथ व्यावसायिक सलाह लेना महत्वपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, रुचि की गहराई को विशेषज्ञ से साझा करना और संभावित जोखिमों को समझना भी आवश्यक है।
माइक्रोब्लेडिंग करवाने के बाद दो महिलाओं को जानलेवा फेफड़ों की बीमारी से जूझना पड़ा. यह बीमारी सिस्टमिक सारकॉइडोसिस है, जो एक ऑटोइम्यून बीमारी है और इससे फेफड़ों में गांठ बन सकती हैं,
*(जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।)*
स्लोवेनिया के डॉक्टरों द्वारा यह पहला मामला सामने आया है, जहां किसी कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट के बाद मरीजों में यह घातक बीमारी विकसित हुई है. इस घटना के बारे में विस्तार से बताते हुए डॉक्टरों ने कॉस्मेटिक क्लीनिकों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है और ग्राहकों को संभावित जोखिमों के बारे में बेहतर जानकारी देने की मांग की है.
(*एक सच्ची घटना*)👇
33 वर्षीय दोनों महिलाएं अपनी आइब्रो में नारंगी-लाल रंग के धब्बे देखने के बाद डॉक्टर के पास गई. पहली महिला ने करीब एक साल पहले माइक्रोब्लेडिंग करवाई थी. माइक्रोब्लेडिंग एक टैटू तकनीक है जिससे आइब्रो घनी दिखाई देती हैं. यह एक सेमी-परमानेंट प्रक्रिया है. वहीं, दूसरी महिला ने छह साल पहले माइक्रोब्लेडिंग करवाई थी, लेकिन ये धब्बे छह साल बाद ही दिखाई दिए. छह बायोप्सी के बाद, यह पाया गया कि दोनों महिलाएं सारकॉइडोसिस से पीड़ित थीं. सीने के एक्स-रे और स्कैन से भी उनके फेफड़ों और लिम्फ नोड्स में इस बीमारी की पुष्टि हुई.

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