संसार मे जहां कुछ न हो शून्य हो उस स्थल को संपूर्ण, मंगलमकारी बना देना ये पराशक्ति ही कर सकती हैं। यहीं ब्रम्हांड की मूल शक्ति हैं, ब्रम्हांड की समूची शक्तियां इनके अधीन  हैं। समस्त लोक इनकी शक्तियों से ही गतिमान हैं। यहां तक कि त्रिदेव में भी इन्हीं की  शक्तियां समाहित  हैं।  पावन चैत्र नवरात्रि में ऐसी पराशक्ति मां अम्बा की आराधना यमभय से मुक्त रखने वाली अत्यंत फलदायी है।

 

उक्त बातें तिलकेजा से पधारे कथाव्यास आचार्य पं. नूतन कुमार पाण्डेय ने सिंचाई कॉलोनी बरपाली स्थित मां मड़वारानी मंदिर में चैत्र नवरात्रि के उपलक्ष्य में दीपका निवासी शिवम जायसवाल द्वारा आयोजित श्रीमद देवी भागवत मूल पाठ ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिवस आयोजित अम्बा यज्ञ के कथा प्रसंग के दौरान कही। उन्होंने शुकदेव जन्म की कथा प्रसंग के दौरान उपस्थित श्रोताओं को बताया कि जिसको ईश्वर दुख देते हैं सबसे पहले उनकी मति बुद्धि का नाश कर देते हैं। जब राजा परीक्षित का नाश होना था तो  सबसे पहले कलयुग के प्रभाव वाली स्वर्ण मुकुट व मतिहीन होने से उन्होंने तपस्या में लीन  ऋषि के गले में मृत सर्प डाल 7 दिवस के भीतर सर्पदंश से मृत्यु प्राप्त करने से  श्रापित हुए। आचार्य श्री पांडेय ने श्रोताओं को बताया कि ईश्वर धातुओं में स्वर्ण में वास होता हैं, लेकिन उसी स्वर्ण में जो परिश्रम से प्राप्त की जाती है,यही वजह है कि विभिन्न पूजाओं में स्वर्ण प्रतिमाओं का आव्हान कर पूजा करने से उसमें प्राण आवाहित हो जाते हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *