अमन चैन की मांगी गई दुआ, सेवइयों से पर्व में घुली मिठास
कोरबा। रमजान के पाक महीने की समाप्ति पर गुरुवार को ईद का पर्व अकीदत के साथ मनाया गया। जिले के इबादगाहों में खुदा की इबादत के लिए सजदे में हजारों सिर झुके। अलग-अलग मस्जिदों और ईदगाहों में लोगों ने ईद की नमाज अदा की। नमाजियों ने खुदा से देश में अमन-चैन की दुआ मांगी। नमाज के बाद मुस्लिम बंधुओं ने एक दूसरे के गले मिलकर ईद की बधाई दी। घरों में मीठी सेवइयों की मिठास घुली।
खुदा की इबादत के खास माह रमजान के 30 रोजे बुधवार को मुकम्मल हुए। इबादतगाहों में गुरुवार को नमाज अदा करने के साथ ईद मनाई गई। इससे पूर्व रमजान के आखिरी रोजे पर बुधवार को रोजेदारों ने आस्था के साथ मस्जिदों में नमाज अदा की। शाम को नमाज के बाद अफ्तार की गई। अंतिम रोजे की समाप्ति पर रोजेदारों ने मगरिब की नमाज अदा की। इसके बाद रोजेदारों ने सामूहिक के साथ साथ घरों में भी अफ्तार किया। गुरुवार को सुबह ईद की नमाज अदा की गई। इसके पूर्व पेश इमाम ने खुत्बा पढा। नमाज के बाद सभी की खैर के लिए दुआ की गई। कोरबा ईदगाह में 8.30 बजे, मदीना मस्जिद में 8.45 बजे, ट्रांसपोर्ट नगर मदरसा में 8.15 बजे, नूरी मस्जिद सीएसईबी में 8.15 बजे, जामा मस्जिद में 9 बजे, कालरी मस्जिद एसईसीएल में 8.30 बजे, मुडापार मस्जिद में 8.15 बजे, बालको मस्जिद में 8.30 बजे, जामा मस्जिद नोनबिर्रा में 8 बजे, मस्जिद गरीब नवाज रजगामार में 8 बजे, गुलशन मदीना ओमपुर में 8 बजे, मस्जिद गरीब नवाज जिलगा में 8 बजे, मस्जिदे अमीने शरीयत भैसमा में 8.15 बजे, जामा मस्जिद श्यांग में 8 बजे, बैतूल मुकद्दस ख्वाजा गरीब नवाज मस्जिद नोंदराहा में 9 बजे, मस्जिद गरीब नवाज बरपाली में 8 बजे,
मस्जिद गरीब नवाज तहसीलभाटा कटघोरा में 8.30 बजे, जामा मस्जिद पुरानी बस्ती कटघोरा में 8.45 और ईदगाह कटघोरा में 9 बजे नमाज अदा की गई। इस्लाम में रमजान को सबसे पवित्र महीना माना गया है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इसमें लोग संयमित रहकर ऊपरवाले से सीधे साक्षात्कार करते हैं। इस पूरे महीने में सभी मुसलमान रोजे रखते हैं। कहते हैं कि पवित्र धर्म ग्रंथ कुरान शरीफ इसी महीने में नाजिल हुई थी, इसलिए इसे पाक महीना कहा जाता है। इस महीने के ही अंतिम दिन ईद मनायी जाती है।
रमजान माह के बाद आती है ईद
एक महीने के रोजे के बाद ईद का त्योहार आता है। इस दिन लोगों के घरों में सेवई बनाते हैं। इसलिए इस पर्व को मीठी ईद भी कहा जाता है। परंपरानुसार ईद-उल-फितर का पर्व शव्वाल माह की पहली तारीख को मनाया जाता है जो कि रमजान के महीने के खत्म होने पर शुरू होता है। शव्वाल का चांद दिखने पर ही ईद की तारीख तय होती है और वो बुधवार को दिखा था, इसलिए जिले भर में भाईचारे और प्रेम के प्रतीक इस त्योहार को मनाया गया।