रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज कबीरधाम जिले के भोरमदेव में शिव भक्तों पर से पुष्प वर्षा की। इस दौरान उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा साथ थे। मुख्यमंत्री ने आज भोरमदेव में सावन सोमवार के अवसर पर हजारों की संख्या में पहुंचे शिव भक्तों, जो सैकड़ों किलोमीटर पैदल यात्रा कर शिवजी का जल अभिषेक करने आए हैं, पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की। यह आयोजन छत्तीसगढ़ में पहली बार हो रहा है, जब प्रदेश के मुखिया स्वयं कावड़ियों पर पुष्प वर्षा किये।

मुख्यमंत्री द्वारा पुष्प वर्षा का यह क्षण श्रद्धालुओं के लिए ऐतिहासिक रहा। पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री स्वयं कावड़ियों पर पुष्प वर्षा किये, जिससे श्रद्धालुओं का उत्साह और भी बढ़ गया। इस आयोजन से छत्तीसगढ़ की धार्मिक परंपराओं और संस्कृति को और भी सशक्त बनाएगा।

प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ के प्राचीन, पुरातात्विक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थल बाबा भोरमदेव मंदिर में पवित्र सावन मास में सैकड़ों किलो मीटर पदयात्रा कर जलाभिषेक करने आने वाले हजारों कावड़ियों पर हैलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने भी कावड़ियों का स्वागत अभिनंदन किया। भोरमदेव में कावडियो और श्रद्धालुओं के बोल बंम, हर-हर महादेव के नारे से भगवान शिव का दरबार गूंज रहा। भोरमदेव मंदिर स्थलों और मार्गों पर भगवा वस्त्रों में रंगा हुआ कांवरियों का जत्था मनमोहक दृश्य शिव भक्तों से रमा हुआ है।

कवर्धा से 18 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम चौरा में 11वी शताब्दी का प्राचीन, ऐतिहासिक और पुरातत्व महत्व का स्थल बाबा भोरमदेव का मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव जी विराजित है। भगवान शिव देवों के देव महादेव में जल अभिषेक की परम्परा सदियों चली आ रही है। हर वर्ष श्रावण माह में कांवरियों द्वारा पदयात्रा कर शिव मंदिरों में जल चढ़ाया जाता है, जिसे कांवड़ यात्रा कहा जाता है।

सावन के इस पवित्र माह में कबीरधाम, पड़ोसी जिला मुंगेली, बेमेतरा, खैरागढ़, राजनांदगांव सहित मध्यप्रदेश के अमरकंटक से कावड़िया पदयात्रा कर छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक, पुरातात्त्विक, धार्मिक एवं पर्यटन महत्व स्थल कबीरधाम जिले बाबा भोरमदेव मंदिर, बूढ़ा महादेव मंदिर और डोंगरिया के प्राचीन जालेश्वर शिवलिंग में जलाभिषेक करने हजारो की संख्या में आते है। पवित्र सावन माह में शिवभक्तों द्वारा अमरकंटक से भोरमदेव मंदिर तक की 150 किलोमीटर की कांवड़ यात्रा जलाभिषेक किया जा रहा है।

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