जीवन में कुछ अलग करने की हर किसी की चाहत होती है। अगर शादी की बात की जाए तो जिंदगी के खास लम्हों में से यह एक होता है। यही वजह है कि लोग अपने शादी-ब्याह में अन्य लोगों से कुछ अलग करना चाहते हैं। आमतौर पर शादियों के कार्ड हिंदी और अंग्रेजी में ज्यादा छपते हैं, लेकिन अब छत्तीसगढ़ी भाषा में भी लोग शादी का कार्ड छपवाने लगे हैं। छत्तीसगढ़ के लोगों को यह अच्छा भी लगने लगा है। लोगों का मानना है कि ऐसे करने से कहीं न कहीं छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा मिलेगा और सबसे मुख्य बात यह की आधुनिकता के समय मे विलुप्त होती बोलियों के शब्द सहेजे जा सकेंगे। साथ इस कार्ड को पढ़ कर लोगों को अपनेपन का एहसास होगा।
इन दिनों शहर में ऐसा हो एक शादी का कार्ड चर्चा का विषय बना हुआ है, जो कि छत्तीसगढ़ी में प्रिंट कराई गई है। यह निर्णय स्थानीय बोली के बदलते शब्द को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए किया गया, जो आधुनिकता के युग में धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। परंपरागत रूप से लोग अपनी शादी के निमंत्रण कार्ड हिंदी या अंग्रेजी में छपवाते हैं, लेकिन इन्हें छत्तीसगढ़ी भाषा में छापने का चलन छत्तीसगढ़ के लोगों में बढ़ रहा है। इस निर्णय के पीछे मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ी बोली को बढ़ावा देना और भावी पीढ़ियों के लिए इसका संरक्षण सुनिश्चित करना है। लोग अभी भी छत्तीसगढ़ी बोली में बात करते हैं, लेकिन आधुनिक प्रभाव के कारण कई पारंपरिक शब्द और वाक्यांश धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं। लोगों का का मानना है कि शादी के निमंत्रण कार्ड को छत्तीसगढ़ी में छपवाने से भाषा को बढ़ावा मिलेगा। इस प्रगतिशील कदम की स्थानीय लोगों ने सराहना की है, जो इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान को जीवित रखने के एक तरीके के रूप में देखते हैं। विशेष रूप से युवा पीढ़ी इस तरह की पहल के कारण ठेठ छत्तीसगढ़ी भाषा के शब्दों को जानने का मौका मिलेगा। उन्होंने उल्लेख किया कि क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना महत्वपूर्ण है और यह छोटा सा प्रयास उस दिशा में एक कदम है। क्षेत्रीय भाषाओं में शादी के निमंत्रण कार्ड छापने का चलन छत्तीसगढ़ मे लोकप्रियता हासिल कर रहा है। कई समुदाय इस तरह की पहल के माध्यम से अपनी भाषाई विविधता प्रदर्शित करने का विकल्प चुन रहे हैं।
शादी कार्ड में इस तरह लिखा हुआ शब्द
दुलउरिन दुल्हन, दुलरवा बाबू मतलब दूल्हा और दुल्हन, रद्दा जोहईया-मतलब राह निहारत नयन, अगोरा म- आपके इंतजार में, सुआगत करईया-स्वागताकांक्षी, नेवतईया, नेंग जोग, मड़वा छवंई, चुलमाटी, तेलमाटी, तेल, मायन, हरदाही, बरात, भांवर आदि छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग में लाया गया है।