वर्ष में दो बार खरमास लगता है। इस साल का दूसरा खरमास 14 मार्च से शुरू हो चुका है। इसका समापन एक माह बाद 14 अप्रैल को होगा। खरमास की अवधि में इस एक माह तक विवाह समेत मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी, लेकिन हवन, पूजन व तीज त्योहार आदि मनाए जा सकेंगे।

खरमास के दौरान होली, रंग पंचमी, चैत्र नवरात्र, हिंदू नववर्ष, चेट्रीचंड्र जैसे बड़े पर्व भी पड़ेंगे। जिनमें होने वाले पूजा अनुष्ठान के साथ ही जरूरी सामान की खरीदी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। खरमास समाप्त होने के बाद अप्रैल से दिसंबर तक केवल विवाह के 32 मुहूर्त हैं। मई, जून, अगस्त, सितंबर व अक्टूबर में भी विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे। धनु और मीन राशि के स्वामी देव गुरु वृहस्पति हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्य के संपर्क में आने से देव गुरु वृहस्पिति का शुभ प्रभाव कम या क्षीण हो जाता है। सूर्य देव के धनु और मीन राशि में गोचर करने के दौरान खरमास लगता है। इस दौरान सूर्यदेव उत्तरा भाद्रपद और 31 मार्च को रेवती नक्षत्र मेें प्रवेश करेंगे। इसके बाद 13 अप्रैल को सूर्य देव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य देव के मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। शास्त्रों के अनुसार धार्मिक मान्यता है कि खरमास में किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। साल में दो बार लगने वाला खरमास मध्य मार्च से मध्य अप्रैल और दूसरा दिसंबर से मध्य जनवरी तक होता है।

दिसंबर में रहेंगे अधिक मुहूर्त

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार खरमास समाप्ति के बाद से दिसंबर अंत तक विवाह के 32 मुहूर्त हैं, जिसमें सबसे अधिक मुहूर्त दिसंबर में हैं।  दिसंबर में 2 से 5, 9 से 11 व 13 से 15 तक 10 दिन शुभ मुहूर्त है। इसके अलावा अप्रैल में 18 से 22 तक 5 मुहूर्त, जुलाई में 3, 9 से 15 तक 8 मुहूर्त हैं। नवंबर में 16 से 18, 22 से 26 व 28 को मिलाकर 9 मुहूर्त हैं। कम मुहूर्त के कारण इन लग्न में जमकर शहनाई बजेंगी।

राशि में होगा परिवर्तन

खरमास में विवाह, मुंडन, यज्ञोपवित, नवीन गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। वहीं पूजा पाठ के साथ ही मंत्रजाप व दान पुण्य करना श्रेष्ठ होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस माह में सूर्य के अलावा मंगल 23 मार्च को सुबह 8.20 पर कुंभ से मीन राशि में प्रवेश करेंगे। बुध 25 मार्च को मीन राशि में ही मार्गी होंगे। शुक्र 24 मार्च को मीन से मेष में जाएंगे। इस तरह राशियों में परिवर्तन होता रहेगा।

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